वेल्डिंग की परिभाषा और वेल्डिंग के प्रकार (Definition of Welding and types of Welding)
दोस्तो आज इस टॉपिक के अंतर्गत जोड़ के प्रकार, हम वेल्डिंग की परिभाषा,वेल्डिंग का वर्गीकरण,वेल्डिंग के प्रकार के बारे में अध्ययन करेंगे।
जोड़ (Joint)-दोस्तो जॉब को जोड़ने के लिए तीन प्रकार के जोड़ होते है-
(1) अस्थायी जोड़
(2) अर्धस्थायी जोड़
(3) स्थायी जोड़
(1)अस्थायी जोड़(Temporary joint)-जब जॉब या दो पार्ट्स को नट -बोल्ट या स्क्रू आदि फास्टनर्स की सहायता से जोड़ दिया जाता है तब इस तरह के जोड़ को अस्थायी जोड़ कहते है।
(2) अर्धस्थायी जोड़(Semi-permanent joint)-अर्धस्थायी जोड़ के लिये सोल्डर का प्रयोग करते है ।इसमें जोड़े जाने वाले धातु के पार्ट्स के ऊपर सोल्डर को पिघला दिया जाता है।सोल्डर ठंडा होने पर जोड़ तैयार हो जाता है।यह जोड़ अस्थायी जोड़ होता है।सोल्डर की सहायता से धातु को जोड़ने की क्रिया को सोल्डरिंग कहते है।
(3) स्थायी जोड़(Permanent joint)-इस विधि का प्रयोग करके धातुुुओं को आपस मेंं स्थायी रूप से जोड़ा जाता है। जोड़ टूटने पर मूल धातु (Base metal) का फेस भी खराब हो जाता है।
स्थायी जोड़ प्राप्त करने के लिए वेल्डिंग प्रकिया अपनाते है।
अब दोस्तो हम वेल्डिंग की परिभाषा और इसके वर्गीकरण,प्रकार के बारे में विस्तार से अध्ययन करते है-
वेल्डिंग(Welding)-वेल्डिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे
उचित तापमान तक समान या असमान धातुओं के पार्ट्स को दबाब द्वारा या बिना दबाब के द्वारा फिलर रॉड के द्वारा जोड़ दिया जाता है।वेल्डिंग से प्राप्त जोड़ स्थायी जोड़ की श्रेणी में आते है।
वेल्डिंग का वर्गीकरण(Classification of welding)-
वेल्डिंग का वर्गीकरण दो आधार पर किया जाता है-
(1) वेल्डिंग प्रक्रिया में उपयोग किये जाने वाले धातुओ के आधार पर
(2) वेल्डिंग प्रकिया में उपयोग किये जाने वाले दबाब के आधार पर
दोस्तो अब हम वेल्डिंग प्रक्रिया में उपयोग किये जाने वाले धातुओं के आधार पर वेल्डिंग के प्रकारो का अध्ययन करेंगे।
वेल्डिंग में प्रयुक्त धातुओ(Metal) के आधार पर वेल्डिंग दो प्रकार के होते है-
(1) समांगी वेल्डिंग(Homogeneous welding)
(2) विष्मांगी वेल्डिंग(Heterogeneous welding)
(1) समांगी वेल्डिंग-जब समान धातु के जॉब या पार्टस को समान धातु के फिलर रॉड का प्रयोग कर के आपस मेंं जोड़ा जाता है।तब इस प्रकार का वेल्डिंग समांगी वेल्डिंग या होमोजिनियस वेल्डिंग कहलाता है।
समांगी वेल्डिंग में फिलर रॉड का गलनांक(Melting point)वेल्डिंग में प्रयुक्त धातुओ के गलनांक के बराबर होता हैं।इस वेल्डिंग में मूल धातु या बेस मेटल भी फिलर रॉड के साथ गल कर जोड़ बनाता है।
उदाहरण-(1) माइल्ड स्टील(MS) के दो जॉब या दो पार्ट्स को जोड़ने के लिए माइल्ड स्टील के फिलर रॉड का प्रयोग करते है।
(2) स्टेनलेस स्टील(SS) के दो जॉब या दो पार्ट्स को जोड़ने के लिए स्टेनलेस स्टील की फिलर रॉड का उपयोग करते है।
(2) विष्मांगी वेल्डिंग-जब असमान धातुओ के पार्ट्स या जॉब को फिलर रॉड का प्रयोग करके जोड़ा जाता है।तब इस प्रकार का वेल्डिंग विष्मांगी वेल्डिंग या हेटेरोजिनियस वेल्डिंग कहलाता है।
विष्मांगी वेल्डिंग में प्रयुक्त फिलर रॉड का गलनांक (Melting point) उपयोग होने वाले दोनों धातुओ के गलनांक से कम होता है ।इस प्रकार के वेल्डिंग में दोनों धातुएं नही गलती है ।केवल फिलर रॉड गलता है और ठंडा होने पर दोनों धातुएं या दोनों पार्ट्स आसपास में जुड़ जाती है।
उदाहरण-(1) माइल्ड स्टील(MS) और कास्ट आयरन(CI) के पार्ट्स को आपस मे फिलर रॉड की सहायता से जोड़ना।
(2) तांबा (copper) और पीतल(Brass) को फिलर रॉड की सहायता से जोड़ना।
दोस्तो अब हम लोग वेल्डिंग प्रक्रिया में उपयोग किये जाने वाले दबाव के आधार पर वेल्डिंग के प्रकारो का अध्ययन करेंगे।
वेल्डिंग प्रक्रिया में उपयोग होने वाले दबाव(pressure) के आधार पर वेल्डिंग दो प्रकार के होते है-
(1)प्रेशर वेल्डिंग/नॉन फ्यूज़न वेल्डिंग(pressure welding/ Non fusion welding)-
(2)नॉन प्रेशर वेल्डिंग/ प्लास्टिक वेल्डिंग/ फ्यूज़न वेल्डिंग(Non pressure welding/plastic welding/fusion welding)
(1)प्रेशर वेल्डिंग के प्रकार-
प्रेशर वेल्डिंग के दो प्रकार है-
(A) फोर्ज वेल्डिंग(Forge welding)
(B)रेजिस्टेंस वेल्डिंग(Resistance welding)
(A) फोर्ज वेल्डिंग(forge welding)-फोर्ज वेल्डिंग प्रेशर वेल्डिंग का एक प्रकार है जिसमे जोड़ी जाने वाली धातुओ को गर्म किया जाता है और इसके बाद जोड़ी जाने वाली धातुओ को आपस में सटा कर रखते है तथा हथौड़े से पीट कर इन्हें आपस में जोड़ दिया जाता है।
(B) रेजिस्टेंस वेल्डिंग(Resistance Welding)-रेजिस्टेंस वेल्डिंग ,प्रेशर वेल्डिंग का एक प्रकार है जिसमे जोड़ी जाने वाली धातुओ के बीच रेसिस्टेंस के कारण ताप(heat) उत्पन्न की जाती है।इस ताप के कारण धातुओ के किनारे प्लास्टीक स्टेज या गलन की अवस्था तक पहुुँच जाते है तथा इन पर दबाब लगाकर सटा कर
।।रेजिस्टेंस वेल्डिंग ।।
(2) नॉन प्रेशर वेल्डिंग के प्रकार-
नॉन प्रेशर वेल्डिंग को फ्यूज़न वेल्डिंग के नाम से भी जाना जाता है।नॉन प्रेशर वेल्डिंग को प्लास्टिक वेल्डिंग के नाम से भी जाना जाता है।
नॉन प्रेशर वेल्डिंग तीन प्रकार के होते है-
(A)गैस वेल्डिंग( Gas welding)
(B)आर्क वेल्डिंग(Arc welding)
(C)थरमिट वेल्डिंग(Thermit Welding)
(A) गैस वेल्डिंग(Gas welding)- गैस वेल्डिंग में गैस का उपयोग ऊष्मा या ताप उत्पन्न करने में किया जाता है।इस ऊष्मा की सहायता से धातुओ के किनारों को गर्म कर पिघलाया जाता है । इसमें फिलर रॉड का प्रयोग होता है।
अधिकतर आक्सी-एसिटिलीन गैस वेल्डिंग का उपयोग होता है जिसमे आक्सीजन (O2)गैस और एसिटिलीन गैस का उपयोग करते है।एसिटिलीन(C2H2) गैस जलती है और ऑक्सिजन गैस जलने में मदद करता है।
नोट-आक्सीजन सिलिंडर व इससे जुड़े पाइप का रंग नीला/काला होता है।एसिटिलीन सिलिंडर या D A सिलिंडर और इससे जुड़े पाइप का रंग लाल होता है। ।।गैस वेल्डिंग डायग्राम ।।
(B)आर्क वेल्डिंग(Arc welding)- आर्क वेल्डिंग में धातुओ को पिघलाने के लिए आवश्यक ऊष्मा के लिए विद्युत धारा( AC/DC) प्रवाहित की जाती है।
विद्युत धारा के प्रवाहित होने के बाद जब फिलर रॉड को जॉब के सम्पर्क में लाते है तब विद्युत आर्क उत्पन्न होता है ।इस विद्युत आर्क से उत्पन्न ऊष्मा के कारण धातुओ (जॉब)के किनारे और फिलर रॉड(वेल्डिंग इलेक्ट्रोड) पिघलता है ।ठंडा होने पर स्थायी जोड़ तैयार हो जाता है।
।।आर्क वेल्डिंग ।।
(C) थरमिट वेल्डिंग(Thermit Welding)-थरमिट वेल्डिंग नॉन प्रेशर वेल्डिंग का एक प्रकार है जिसमे रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाली ऊष्मा का प्रयोग धातुओ को गलाने में किया जाता है।इस विधि में थरमिट पाउडर का प्रयोग किया जाता है।थर्मिट पाउडर ,एलुमिनियम (Al)और आयरन आक्साइड (Fe2O3)का मिश्रण होता है।
।। थरमिट वेल्डिंग ।।
दोस्तो वेल्डिंग के नए भाग में हम लोग आर्क वेल्डिंग के प्रकारो का अध्ययन करेंगे।
।।नमस्कार ।।
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