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स्नेहक की परिभाषा और स्नेहक के प्रकार(Definition of lubricant and types of lubricant)


स्नेहक की परिभाषा और स्नेहक के प्रकार(Definition of lubricant and types of lubricant)


दोस्तो इस ब्लॉग में हम जानेंगे-

(1)स्नेहक की परिभाषा(Definition of lubricant)

(2)स्नेहक के कार्य(Function of lubricant)

(3)स्नेहक के गुण(Quality of lubricant)

(4)स्नेहक के प्रकार(Types of lubricant)

(5)स्नेहन की परिभाषा(Definition of lubrication)

(6)स्नेहन के प्रकार(Types of lubrication)



(1)स्नेहक की  परिभाषा (Definition of  lubricant)-   स्नेहक एक ऐसा पदार्थ (Substance) है जो कि दो परस्पर संपर्क वाले सतहो(Surface) के बीच घर्षण (Friction) को कम(Reduce) करता है।

यह दो गतिशील सतहों के बीच उत्तपन्न ऊष्मा ( heat) को कम (Reduce) करता है।
                           (Grease)
        {This image from Indiamart.com}



                        (Engine oil)
            {This image from Amazon.in}

(2)स्नेहक के कार्य(Function of lubricant)-

(I)घर्षण प्रभाव को कम करना(Reduce frictional effect)-  स्नेहक (lubricant) का प्राथमिक कार्य दो परस्पर रगड़ खाने वाले सतहों (Rubbing surfaces) के बीच घर्षण (Friction) को कम (Reduce)करना है।

(ii)शीतलन प्रभाव (Cooling effect)- पिस्टन, सिलिंडर और बेयरिंग के द्वारा ऊष्मा( heat) उत्पन्न होती है ।स्नेहक (Lubricant) के द्वारा इसे दूर करते है।स्नेहन (lubrication), शीतलन प्रभाव उत्तपन्न करता है।


(iii)शोधन प्रभाव(Cleaning effect)-स्नेहक (lubricant) के द्वारा इंजन का शोधन किया जाता है।इंजन  के अंदर से डर्ट(Dirt) और कार्बन को स्नेहक (Lubricant-Engine Oil) के द्वारा इंजन से अलग किया जाता है।

(iv) सीलबंदी प्रभाव (Sealing Effect)-स्नेहक ,  सिलिंडर लाइनर, पिस्टन, पिस्टन रिंग के गैप(Gap) के अंदर प्रवेश(Enter) करता है।यह इंजन सिलिंडर से गैस लीकेज(Leakage)को रोकता है।

(v) संक्षारण प्रतिरोध(Corrosion resistance)-यह मशीन के भागों को संक्षारण (Corrosion) से बचाता है।



(3)स्नेहक के गुणधर्म(Properties of lubricant)-

(i)तैलीयता(Oiliness)-किसी भी स्नेहक (Lubricant) का यह मुख्य गुण है।स्नेहक में चिकनाहट होना चाहिए।

(ii)श्यानता(Viscosity)-श्यानता ,स्नेहक के बहाव (Flow)के आंतरिक प्रतिरोध (internal resistance) को दर्शाता है।अधिक श्यानता(Viscosity)का स्नेहक मोटा(Thick)होता है और बहता(Flow) नही है।

कम श्यानता(Viscosity) का स्नेहक पतला(Thin) होता है।यह पानी की तरह बह(Flow) सकता है।

श्यानता(Viscosity) को विस्कोमीटर से मापते है। 
                        (Viscometer)
       {This image from india mart.com}






(iii)श्यानता सूचकांक (Viscosity index)-तापमान के साथ श्यानता में परिवर्तन की दर को श्यानता सूचकांक (Viscosity Index) कहते है।

यह अंक यह दर्शाता है कि तापमान बदलने के साथ स्नेहक के श्यानता(Viscosity) में कितना परिवर्तन होता है।

यदि स्नेहक का श्यानता सूचकांक(Viscosity Index) अधिक है तो तापमान बढ़ने पर श्यानता में बदलाव कम होगा।
 
(iv)आक्सीकरण स्थायित्व (Oxidation Stability)-यह स्नेहक(Lubricant) और ऑक्सीजन के बीच रिएक्शन(Reaction) है।जब ऑक्सीजन ,स्नेहक तेल (Libricating Oil) से मिलता है।तब राशियां (Variable) जैसे उच्च तापमान,पानी और अम्ल (Acid) आक्सीकरण दर (Oxydation Rate) को बढ़ा देते है। तापमान बढ़ने से स्नेहक का जीवन(Life) घाट जाता है।

(v)उड़ेलन बिंदु(Pour point)-यह वह तापमान है जिस पर स्नेहक बहना(Flow) बंद कर देता है।यानी कि स्नेहक अत्यधिक ठंड  के कारण जम जाता है। यह बिंदु ठंडे देशों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।

(vi) विपायसनीयता(Demulsibility)-यह पानी से स्नेहक(Lubricant) के अलग होने के गुण को दर्शाता है।

(vii)आपेक्षिक घनत्व (specific gravity)-यह स्नेहक (Lubricant) के घनत्व (Density) और पानी की घनत्व (Density) का अनुपात (Ratio) होता है।

किसी भी स्नेहक के लिए इसका मान एक से अधिक होना चाहिए या एक के बराबर होना चाहिए।एक से कम नही होना चाहिए।


(viii)फ़्लैश पॉइंट (Flash point)-यह वह तापमान है जिस तापमान पर स्नेहक ,भाप (Steam) में बदल जाता है।यह गर्म देशों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है।

ऑटो इंजन में ऐसे स्नेहक का प्रयोग नही करना चाहिए जिसका फ़्लैश पॉइंट 175'C से कम हो।

(ix)ज्वलन बिंदु(fire point)-यह वह तापमान है जिस पर स्नेहक आग की लपटें पकड़ लेता है।यह फ़्लैश पॉइंट से 20'F अधिक होता है।

(X) प्रतिक्रिया(Reaction)-स्नेहक की प्रतिक्रिया किसी भी मशीन के पुर्जे पर नही होना चाहिए।इसका मतलब है कि स्नेहक अम्लीय(Acidic) या क्षारीय(Alkaline) नही होना चाहिए।

(4)स्नेहक के प्रकार(Types of lubricant)-यह भौतिक अवस्था (Physical state) के आधार पर तीन प्रकार के होते है।

(i)ठोस स्नेहक(Solid lubricant)

(ii)अर्ध ठोस स्नेहक(Semi-solid lubricant)

(iii)द्रव स्नेहक(liquid lubricant)



(i)ठोस स्नेहक(Solid lubricant)-वे स्नेहक (Lubricant) जिनका उपयोग ठोस अवस्था में पाउडर के फॉर्म में उपयोग किया जाता है।ये दो फिसलने वाले सतहों(Sliding surfaces) के बीच घर्षण को कम कर देता है।

ठोस स्नेहक का उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ लिक्विड आयल मीडियम (Liquid oil medium)की अधिक समय तक नही टिक पाता है।ठोस स्नेहक का उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ उच्च तापमान (High temperatur) और अत्यधिक संपर्क दाब (Extream contact pressure) होता है।

ठोस स्नेहक का उदाहरण-ग्रेफाइट,मालीबडेनम  डाई सल्फाइड, टनगस्टन डाई सल्फाइड।


                     (Graphite lubricant)
             {This image from desertcart.in}



        (Molibdenam disulphide lubricant)
           {This image from Indiamart.com}





(ii)अर्ध ठोस स्नेहक(Semi solid lubricant)-ऐसे स्नेहक जो सामान्य तापमान पर न तो पूरी तरह ठोस होते है और न ही पूरी तरह से द्रव होते है।इस प्रकार के स्नेहक अर्ध द्रव स्नेहक या अर्ध ठोस स्नेहक कहलाते है।
इसके अन्तर्गत ग्रीस और वैसलीन आता हैं।

ग्रीस का उपयोग उच्च तापमान, जर्क ,उच्च भार पर काम करता है।
                             (Grease)
        { This image from indiamart.com}

 बेयरिंग और गियर में उच्च तापमान पर काम करता है।

बेयरिंग में सीलिंग एजेंट की तरह काम करता है।

(iii)द्रव स्नेहक(Liquid lubricant)-ऐसे स्नेहक जो द्रव अवस्था(Liquid state) में रहते है ,द्रव स्नेहक कहलाते है।

आमतौर पर द्रव स्नेहक में 90% तेल(Oil) और 10%  योगज(Additive) मिला हुआ होता है ताकि घर्षण (Friction) को कम किया जा सके।उच्च श्यानता (High viscosity) को कम किया जा सके।यह संक्षारण (Corrosion) को भी रोकता है।

द्रव स्नेहक का उदाहरण-इंजन आयल,गियर आयल आदि।


                           (Engine oil)
        { This image from indiamart.com}



                         (Gear oil)
    { This image from autofuerst-shop.de}

द्रव स्नेहक के प्रकार (Types of liquid lubricant)-

(i)वनस्पति तेल(Vegatable oil)

(ii) जंतु तेल(Animal oil)

(iii)खनिज तेल (mineral oil or petroliyam oil)

(iv)कृत्रिम तेल(Synthetic oil)

(5)स्नेहन की परिभाषा (Definition of lubrication)-  ऐसा पदार्थ जो दो धात्विक सतहों के बीच घर्षण (Friction) को कम कर दे , उसे स्नेहक (Lubricant) कहते है।
स्नेहक ( Lubricant) धात्विक सतहों के बीच चिकनाई (Oiliness) देकर घर्षण या रगड़ को कम (Reduce) करने की क्रिया को स्नेहन (Librication) कहते है।

(6) स्नेहन के प्रकार(Types of lubrication)-


(A) संपर्क  सतहों के बीच बनने वाले फ़िल्म(Film) के आधार पर-  

(i) फूल फ़िल्म लुब्रिकेशन (Full film lubrication)
                                      
(ii)बाउंड्री लुब्रिकेशन (Boundary lubrication)

(iii)मिक्स्ड लुब्रिकेशन (Mixed lubrication)


(¡)फुल फ़िल्म लुब्रिकेशन(Full film lubrication)-इस स्नेहन प्रणाली में एक मोटी (Thick) फ़िल्म(Film) दो सम्पर्क सतहों (Contact surface) को अलग करती है।

सामान्यतया पूर्ण फ़िल्म स्नेहन प्रणाली में तेल गतिशील भागो से चिपका रहता है और यह तेल फिसलने वाली दो स्तनों के बीच के क्षेत्र(Area) में रहता है।
 { Image from machinerylubrication.com}

फुल फ़िल्म स्नेहन के प्रकार(Type of full film lubrication)-

(A) हाइड्रो डायनामिक(Hydrodynamic)

(B)ईलास्टो हाइड्रो डायनामिक( Elasto-hydrodynamic)

(A)हाइड्रो-डायनामिक(Hydro dynamic)-हाइड्रो-डायनामिक स्नेहन में दो सतहों के बीच फिसलन गति (Sliding motion) होता है और ये दोनों सतह तरल (Fluid) के फ़िल्म(Film) के द्वारा पूर्णतया अलग होते है।

(B)ईलास्टो-हाइड्रो डायनामिक स्नेहन(Elasto-hydro Dynamic lubrication)-यह हाइड्रो- डायनामिक गति(Motion) के समान है परंतु यहां दोनों सम्पर्क सतहों के बीच घूर्णन गति (Rolling motion) होता है।

इसमें हाइड्रो-डायनामिक स्नेहन की तुलना में पतली फ़िल्म(Thin film) होती है।फ़िल्म(Film)पर दबाब अपेक्षाकृत अधिक होता है।

इस  स्नेहन को ईलास्टो-हाइड्रो डायनामिक स्नेहन कहते है क्योंकि घूर्णन साथ(Rolling surface) को लुब्रिकेट (Lubricate) करने के लिए फ़िल्म (Film), ईलास्टिकली (Elastically) विकृत (Deform) होती है।

प्रायः बहुत अधिक चिकनी सतह पर भी असमानताएं (Irregulirities) होती है।सूक्ष्मदर्शी(Microscope) से देखने पर इसमें peaks और valley दिखता है।इन सभी peaks को Asperities कहते है। पूर्ण फ़िल्म स्नेहन की स्थिति में lubricating film को asperities की length की तुलना में अधिक मोटा(Thick) होना चाहिए।

(ii)बाउंड्री स्नेहन(Boundary lubrication)-यह स्नेहन(Lubrication) उन जगहों पर पाया जाता है जहाँ कोई मशीन पार्ट अचानक स्टार्ट होता है और फिर अचानक रुकता(Stop) है।यहाँ पर शॉक लोडिंग कंडीशन (Shock loading condition) उपस्थित रहती है।

कुछ तेलों में अत्यधिक दाब या एन्टी वियर एडिटिव (Anti wear additive) होते है जो सतह(Surface) को बचाते है। फुल फ़िल्म स्नेहन (Full film lubrication) में ऐसा न हो पायेगा क्योकि इसमें स्पीड,लोड(Load) और नई फैक्टर(Factor) होते है।

यह एडिटिव धातु की सतह पर चिपक जाते है और धातु को घर्षण या रगण से बचाने के लिए एक त्यागकारी परत बनाते है।
  { Image from machinerylubrication.com}

बाउंड्री स्नेहन (boundary lubrication) में दो सतहों के बीच इस प्रकार संपर्क होता है कि केवल Extreame pressure  और anti wear परत ही संपर्क होने वाले सतहों(Surface) को रक्षित (Protect) कर सकती है।

(iii)मिक्स्ड स्नेहन(Mixed lubrication)-यह boundary और Hydro डायनामिक स्नेहन का मिश्रित रूप है। lubricating layer के द्वारा सतह अलग अलग होता है ।अनियमितताये (Asperities) एक दूसरे से संपर्क बनाती है।इस प्रोसेस में सतह अलग अलग होती है।यह friction /wear को कम करके  सरफेस की लाइफ को बढ़ा देता है।

स्नेहन के लिए तेल ,ग्रीस या अन्य तरल(Fluid) का प्रयोग करते है।
  { Image from machinerylubrication.com}



(B) अन्तः दहन इंजन में प्रयुक्त स्नेहन के प्रकार (Types of lubrication  in I.C. engine)-

(¡)पेट्रोल/मिस्ट लुब्रिकेशन (Petrol/Mist lubrication)

(¡¡)ड्राई सम्प लुब्रिकेशन(Dry sump lubrication)

(iii) वेट सम्प लुब्रिकेशन(Wet sump lubrication)

वेट सम्प लुब्रिकेशन के प्रकार(Type of wet sump lubrication)

(A)स्प्लैश लुब्रिकेशन(Splash lubrication)

(B)फोर्स्ड फीड /प्रेसराइज्ड लुब्रिकेशन (Force feed /Pressurised lubrication)

(C)कंबाइंड लुब्रिकेशन( combined lubrication)


(I)पेट्रोल या मिस्ट लुब्रिकेशन सिस्टम(Petrol or mist lubrication system)-इस लुब्रिकेशन सिस्टम में पेट्रोल में ही इंजन आयल मिला दिया जाता है।पेट्रोल और आयल का अनुपात 20:1 है।इसका उपयोग मुख्यतः टू स्ट्रोक इंजन में होता है।तेल, धुंध या मिस्ट के रूप मे इंजिन के गतिशील भागो में पहुंचता है और उसे लुब्रिकेट करता है।
           (Oil mist lubrication)
  { This image from acim.nidec.com}


इसमें मुख्य कमी यह है कि मुख्य रूप से इंजन आयल ,पेट्रोल के साथ जलता है।



(Ii)ड्राई सम्प लुब्रिकेशन(Dry sump librication)-इस लुब्रिकेशन सिस्टम में इंजन आयल को एक पृथक टंकी में रखते है।इस टंकी से आयल को इंजन के विभिन्न भागों में पंप के द्वारा पहुंचाया जाता है।इस लुब्रिकेशन सिस्टम में दो आयल पंप का उपयोग होता है।पहला वाला आयल पंप आयल को सम्प से टंकी में भेजता है और दूसरा वाला आयल पंप आयल को टंकी से इंजन के विभिन्न भागों में भेजता है।इंजन के विभिन्न भागों को स्नेहित(Lubricate) करने के बाद आयल वापस सम्प (Sump) में आ जाता है

इसका उपयोग हाई परफॉर्मेंस मोटर साईकल,रेसिंग कार और ऐरोबेटिक एयरक्राफ्ट में होता है।
                (Dry sump lubrication)
(This image from aviation_dictionary.in academic)


(iii) वेट सम्प लुब्रिकेशन सिस्टम(Wet sump lubrication system)- वेट सम्प लुब्रिकेशन में केवल एक आयल सम्प होता है जो कि क्रैंक केस सम्प होता है और इसमें केवल एक आयल पंप होता है जबकि ड्राई सम्प लुब्रिकेशन में दो या अधिक आयल पंप होते है और एक सेपरेट आयल टंकी (Sapetate oil tank) होता है।

वेट सम्प लुब्रिकेशन के प्रकार(Type of wet sump lubrication)-यह तीन प्रकार के होते है

(A)स्प्लैश लुब्रिकेशन सिस्टम(Splash lubrication सिस्टम

(B)फ़ोर्स फीड /प्रेसराइज्ड लुब्रिकेशन सिस्टम(Force feed/Pressurized lubrication system)

(C) कंबाइंड लुब्रिकेशन सिस्टम(Combined lubrication system)





(A)स्प्लैश लुब्रिकेशन सिस्टम (Splash lubrication system)-क्रैंक केस(Crank case) और सिलिंडर के अंदर के पार्ट्स का लुब्रिकेशन क्रैंक पिन और दूसरे गतिशील भागो (Moving parts) के द्वारा तेल को छिड़क (Splash) कर किया जाता है।

स्प्लैश लुब्रिकेशन सिस्टम का उपयोग छोटे और स्थिर फोर स्ट्रोक इंजन में होता है।

स्प्लैश लुब्रिकेशन  शुरुआती इंजन में लुब्रिकेशन का प्रारंभिक रूप है।यह इंजन बाह्य दहन इंजन  (External combustion engine) जैसे कि स्थिर स्टीम इंजन  और अन्तः दहन इंजन (Petrol engine, Diesel engine) हो सकता है।

एक इंजन जिसमे स्प्लैश लुब्रिकेशन का उपयोग होता है उसमें न तो आयल पंप(Oil pump) की जरूरत होती है और न ही आयल फ़िल्टर(Oil filter) की जरूरत होती है।

स्प्लैश लुब्रिकेशन सिस्टम एक Antique system है जहाँ conneting rod के big end पर लगा scoop ,sump में डूब जाता है और cylinder की तरफ ऊपर की ओर लुब्रीकेंट को छिड़कता (Splash)है और एक आयल का कोहरा(Mist) बनता है जो बाद में droplet में बदल जाता है।इसके बाद आयल droplet छेद से होकर बेयरिंग और moving parts को lubricate करता है।



स्प्लैश लुब्रिकेशन सिस्टम simple , reliable, cheaper होता है।

(B)फ़ोर्स फीड लुब्रिकेशन सिस्टम-(Force feed lubrication system)-इस स्नेहन प्रणाली (Lubrication system) में Lubricating oil को पंप के द्वारा दाब के साथ सभी भागों में सप्लाई किया जाता है।तेल को दाब के साथ CAM शाफ़्ट और Crank shaft  के मेन बेयरिंग (Main bearing) में भेजा जाता है।

Main crank shaft bearing journal में होल होता है।इस होल से ,कनेक्टिंग रेड होल से तेल big end bearing और small end bearing में पहुचता है।

इसमें एक प्रेसर गेज दिया जाता है जो विभिन्न भागों पर तेल के प्रवाह और पहुंच को confirm करता है।
           (Force feed lubrication system)

{ This image from constructionmanuals.tpub.com}

इस लुब्रिकेशन सिस्टम का उपयोग हैवी ड्यूटी और  हाई स्पीड इंजन  में होता है।

(C)कंबाइंड लुब्रिकेशन सिस्टम(Combined sump lubrication system)-यह स्प्लैश लुब्रिकेशन और फ़ोर्स फीड लुब्रिकेशन सिस्टम से मिलकर बना है।
इसमें इंजन के कुछ भागों को स्प्लैश लुब्रिकेशन सिस्टम के द्वारा स्नेहित (Lubricate) करते है और इंजन के कुछ भागों को फ़ोर्स फीड लुब्रिकेशन के द्वारा स्नेहित (Lubricate) करते है।
        (Combined lubrication system)
   {Image from armyordnance.tpub.com}

इस सिस्टम में पंप के द्वारा दाब के साथ लुब्रिकेटिंग आयल को मैन बेयरिंग(Main bearing) व कैम  शाफ़्ट बेयरिंग में सप्लाई होता है।आयल को नोजल से स्प्रे के रूप में छिटकता है या डीपर(dipper) / स्कूप (Scoop) के द्वारा बिग एन्ड कनेक्टिंग रॉड बेयरिंग ,क्रैंक पिन,गडजान पिन, पिस्टन पिन और सिलेंडर को लुब्रिकेट करता है।


दोस्तो आपके सुझावों का स्वागत है। आगे के ब्लॉग में हम पंप और उसके प्रकार के बारे में अध्ययन करेंगे।
                 -------!!! नमस्कार!!!-------
















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