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जीवन का सबसे बड़ा सत्य-मृत्यु (Biggest truth of life-Death)

जीवन का सबसे बड़ा सत्य-मृत्यु (Biggest truth of life-Death)


दोस्तो आज के लेख में हम जानेंगे कि मृत्यु क्या है,मृत्यु क्यो होती है,मृत्यु के कारण क्या है,पुराणों में मृत्यु के बारे में क्या कहा गया है,,स्वर्ग और नरक क्या है,मृत्यु से पहले हमें क्या कर्म कर लेने चाहिए और निष्कर्ष के बारे में जानेंगे।


(1) मृत्यु क्या है ?

जब जीव या प्राणी पैदा होता है तब वह शिशु रूप में रहता है।धीरे धीरे उसके शरीर का विकास होता है।शरीर बढ़ता है।बुद्धि भी परिपक्व होती है।जवान होने के बाद शरीर ढलने लगता है।शरीर की मांसपेशियों में और हड्डीयो में कामजोरी आती है और धीरे धीरे शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता घटने लगती है।बीमारिया शरीर को घेर लेती है। आदमी अचानक से निष्प्राण हो जाता है।शरीर से प्राण का अलग होना ही मृत्यु है।



(2) मृत्यु क्यों होती है?

दोस्तो मृत्य के कई कारण है जैसे मानसिक चिंता,शारीरिक बीमारी ,दुर्घटना ।
मानसिक चिंता-

चिता हम उसे कहते है जो मुर्दो को जलाती है,
बड़ी है चिंता चूंकि यह जीतो को  जलाती है ।।

दोस्तो चिंता वास्तव में शरीर मे रोगों को जन्म देता है जैसे भूख न लगना,शरीर का कमजोर होना,ब्लड प्रेसर का बढ़ना,हार्ट अटैक आना और अंत मे प्राण का शरीर से अलग होना ।





शारीरिक बीमारी- 
दोस्तो  शरीर में कई    तरह  की   बीमारी होती है कुुुछ आनुवंशिक  होती है , कुछ बीमारीया खान-पान केे कारण  होती है   और कुुुछ  बीमारिया उम्र बढ़ने से    शरीर के पुर्जो में    खराबी   के  कारण होती है।





दुर्घटना-
दोस्तो दुर्घटनाये मनुष्य स्वयं जान समझ कर भी करता है जैसे-आत्महत्या ।अब चाहे तो मनुष्य अपने शरीर मे केरोसिन डाल कर आग लगा ले या रेलगाड़ी के आगे कूदकर जान दे दे,या नदी में कूदकर जान दे दे,या फाँसी लगा ले।




दोस्तों कुछ दुर्घटनाये मनुष्य की स्वयं की गलती से होता है जैसे-सड़क पर गलत तरीके से गाड़ी चलाना,गलत साइड पर गाड़ी चलाना,शराब पीकर गाड़ी चलाना,बिना सेफ्टी के विद्युत उपकरण या वायरिंग का काम करना।





(3)  पुराणों में मृत्यु के बारे में क्या कहा गया है ?

दोस्तो हिन्दू पुराणों में लिखा है कि मृत्यु के देवता यमराज है।वे कर्म के अनुसार लोगो को स्वर्ग और नर्क का कष्ट देते है।





दोस्तो सभी पुराणों और सभी धर्म ग्रंथो में यही बात लिखी है कि शरीर नश्वर है।आत्मा(प्राण) अमर है।मृत्यु के बाद आत्मा एक नए शरीर मे प्रवेश करती है।यही प्रक्रिया चलती रहती है ।भागवत गीता में लिखा है मनुष्य कपड़े बदलता है और नए कपड़े पहनता है ठीक उसी प्रकार आत्मा पुराने   शरीर को छोड़ कर नये शरीर मेंं प्रवेश   करती है। 

 
    



(4) स्वर्ग और नरक क्या है ?

दोस्तो स्वर्ग और नरक के बारे में पुराणों में लिखा है कि अच्छे कर्म करने पर मृत्यु के बाद आत्मा को स्वर्ग मिलता है जहाँ वह सुख भोगता है और खराब कर्म करने पर मृत्यु के बाद नरक में जाता है जहाँ वह कष्ट का भोग करता है।





(5) मृत्यु के पहले क्या कर्म कर लेने चाहिए 

दोस्तो मनुष्य को अच्छे कर्म तो करने ही चाहिए,परंतु आजकल ले परिवेश में आदमी अपनी रोजी- रोटी के लिए मांस-मदिरा का भी व्यबसाय करता है।स्मगलिंग का भी काम करता है।चोरी -डकैती करता है।पैसे के लिए हत्या करता है।



दोस्तो हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारे वजह से लोगो को तकलीफ कम से कम हो।
माता-पिता अपने बुजुर्गों की जितनी सेवा कर सके करे।
कोशिश करे कि उनका अंत समय काफी खुशहाल बीते।
अपने भाई या रिश्तेदारों या अन्य की धन -सम्पत्ति हड़पने की कोशिश न करें।




अपने परिवार-बच्चो के लिए एक जीवन बीमा या टर्म इन्सुरेंस प्लान जरूर ले कर रखे।
दोस्तो जीवन की कोई गारंटी नही है ।कभी भी साथ छोड़ सकती है। आपके न रहने पर यह उन्हें कुछ दिनों के लिए यह जीवन बीमा या टर्म इन्सुरेंस आपके परिवार वालो को आर्थिक सहायता देगा।उतने दिनों में वे सभी संभल जाएंगे।

निष्कर्ष-

दोस्तो जीवन समाप्ति मृत्यु के साथ होती है।मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सत्य है।पृथवी पर जनम लेंने वाले हर    मानुुुष  की मौत निश्चत है।

अच्छे कर्म करिये ताकि लोग आपके जाने के बाद आपकी बुराई न करे ,जो भी यहाँ इस धरती पर बनाया है।यही छोड़ कर जाना है। 





स्वर्ग और नरक  यही  इस जीवन मे ही देखने को मिल जाता है।यदि आपका  समय इस पृथ्वी पर खुशहाली के साथ बीत जाता है तो यही स्वर्ग का सुख है और यदि आपका पूरा जीवन का समय कष्टो में बीतता है तो यही नरक का दुख है।


जीवन मे ऐसा कर्म न करे कि    जीवन के अंत समय पर पछतावा हो।।  ।।नमस्कार।।     

                                  
      
       ।। आपका दोस्त कामनाशीष सरकार।।

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