पंप की परिभाषा और पंप के प्रकार(Definition of pump and types of pump)
दोस्तो इस ब्लॉग में जानेंगे-
(1)पंप क्या है?पंप क्या काम करता है?
(2)पंप का वर्गीकरण क्या है?
(3) सेन्ट्रीफ्यूगल पंप के मुख्य भागो के नाम क्या है?
(4) सेन्ट्रीफ्यूगल पंप का कार्यकारी सिंद्धान्त क्या है?
(5) रेसिप्रोकेटिंग पंप क्या है?
(6) रेसिप्रोकेटिंग पंप के मुख्य भागो के नाम क्या है?
(7)सेन्ट्रीफ्यूगल पंप और रेसिप्रोकेटिंग पंप में क्या अंतर है?
(8)पंप में प्राइमिंग क्यों करते है?
(1)पंप(Pump)-पंप एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा गैस या द्रव या स्लरी (Slurry) को धकेलकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पाइप के माध्यम से पहुँचाया जाता है।पंप मैकेनिकल एक्शन के द्वारा तरल(Liquid)को स्थानांतरित करता है।
(This image from Indiamart.com)
पंप ,तरल(fluid) को कम दाब के स्थान से अधिक दाब के स्थान पर धकेलने का काम करता है।
(2) पंप का वर्गीकरण(Classification of pump)-
मुख्य दो प्रकार के है-
(A)डायनेमिक पंप(Dynamic pump)
(B) पॉजिटिव डिस्प्लेसमेंट पंप(positive displacement pump)
(A)डायनामिक पंप के प्रकार(Types of dynamic pump)
(i)सेन्ट्रीफ्यूगल पंप(Centrifugal pump)
(Types of dynamic pumps)
{ Image from sugarprocesstech.com}
(B)पॉजिटिव डिस्प्लेसमेंट पंप के प्रकार(Types of positive displacement pump)
(I)रेसिप्रोकेटिंग पंप (Reciprocating pump)
(ii)रोटरी पंप (Rotary pump)
(iii)न्यूमैटिक पंप (pneumatic pump)
(Types of displacement pump)
{ Image from sugarprocesstech.com}
3.पंप के भागों के नाम (Name of parts of pump)
(I)सेन्ट्रीफ्यूगल पंप के भागों के नाम(Name of parts of centrifugal pump)-
(i)स्टफिंग बॉक्स(Stuffing box)
(ii)शाफ़्ट(Shaft)
(iii)शाफ़्ट स्लीव(Shaft sleeve)
(iv)इम्पेलर(Impeller)
(v)इम्पेलर केसिंग(Impeller casing)
(vi)केसिंग वियर रिंग(Casingwear ring)
(vii)डिस्चार्ज नोजल(Discharge nozzle)
(i) स्टफिंग बॉक्स(Stuffing Box) -स्टफिंग बॉक्स का ग्लैंड पैकेज एक असेंबली है जिसमे ग्लैंड सील होता है।यह फ्लूइड के लीकेज को रोकती है।यह फ्लूइड पानी या स्टीम हो सकता है।यह मशीन के स्लाइडिंग पार्ट्स के बीच से लीकेज को रोकता है।
सभी स्टाफिंग बॉक्स एक ही सिद्धान्त पर कार्य करता है।ग्रीस लगी हुई फ्लक्स पैकिंग को प्रोपेलर शाफ़्ट के चारो ओर wrap करते है बाद में ग्लैंड पैकिंग के ऊपर ग्लैंड प्लेट लगाकर nut से टाइट करते है।यह ग्लैंड पैकिंग को अंदर की ओर दबाकर रखता है।ताकि air leakage और water लीकेज न हो।
(ii) शाफ़्ट(Shaft)-शाफ़्ट मशीन का एक बेलनाकार(Cylindrical) भाग है।शाफ़्ट का अनुप्रस्थ काट (Cross sectional area) वृताकार होता है।शाफ़्ट का मुख्य कार्य मशीन के एक भाग से दूसरे भाग में पावर स्थानांतरित (Transmission) करना है।
अगर पंप के संदर्भ में देखा जाए तो मोटर को डीजल या विद्युत की सहायता से चलाया जाता है।मोटर के चलने पर शाफ़्ट घूमती है और शाफ़्ट के साथ पंप ,कपलिंग के द्वारा जोड़ा जाता है इसलिए मोटर के घुमने पर पंप भी घूमने लगता है।
(SHAFT)
(This image From India Mart .com)
(iii)शाफ़्ट स्लीव( Shaft sleeve)-शाफ़्ट स्लीव ,एक धातु का बना हुआ खोखला बेलनाकार ट्यूब होता है।यह स्लीव शाफ्ट के ऊपर माउन्ट होती है।यह शाफ़्ट को संक्षारण से बचाता है।
(This image from india mart.com)
(iv)वेन(Vane)-यह इम्पेलर के ऊपर लगी हुई ब्लेड होती है जो पंप शाफ़्ट के साथ घूमती है और यांत्रिक ऊर्जा को पंप के आउटपुट शक्ति में बदलती है।
(v)इम्पेलर केसिंग(Impeller casing)-यह इम्पेलर के ऊपर का एक कवर है।यह इम्पेलर को वातावरणीय प्रभाव से बचाता है।केसिंग के अंदर फ्लूइड का दबाब(Pressure) बनाये रखता है।यह फ्लूइड(Fluid) के बाहर रिसाव को भी रोकता है।यह घूमने वाले(rotor) भाग के लिए एक घर(House) प्रदान करता है।
(This image from India Mart.com)
(vi) केसिंग वियर रिंग(Casing wear ring)-वियर रिंग का उपयोग पंप की दक्षता (efficiency) को बढ़ाने और धातु से धातु के बीच के संपर्क (Contact) को कम करने के लिए किया जाता है।
(This image from India mart.com)
केसिंग वियर रिंग बदलने योग्य(Replaceable )होता है।इसे सेन्ट्रीफ्यूगल पंप में इम्पेलर या पम्प केसिंग में कम क्लीयरेंस(Clearance) के लिए लगाया जाता है ताकि वास्तविक इम्पेलर और पंप केसिंग में घिसाव (Wear) न होने पाए।
(vii)डिस्चार्ज नोज़ल(Discharge nozzle)- डिस्चार्ज नोजल पंप केसिंग के आउटलेट (Outlet) में एक वृतीय अनुप्रस्थ काट(Circular cross section) होता है।यहाँ से तरल(Fluid) डिस्चार्ज पाइप लाइन में जाता है।
(नोट-दोस्तो यहाँ पर हमने तरल(Fluid) शब्द का प्रयोग किया है।तरल या फ्लूइड में द्रव पदार्थ और गैसीय पदार्थ दोनों ही आते है।)
(This image from pipingengineer.org)
4.सेन्ट्रीफ्यूगल पंप का कार्यकारी सिद्धांत (Working principle of pump)- सेन्ट्रीफ्यूगल पंप को शुद्ध हिंदी में अपकेंद्री पंप कहते है। इसमें मोटर के शाफ़्ट से इम्पेलर शाफ़्ट कपलिंग के द्वारा जुड़ा होता हैं।जब मोटर घूमता है तब उसके साथ में इम्पेलर भी घूमता है ।इमेलर के घूमने से सेन्ट्रीफ्यूगल बल उतपन्न होता है जो तरल के गतिज ऊर्जा ,वेग,दाब शीर्ष(Pressure head) को बढ़ा देता है जिससे द्रव अधिक ऊचाइयों तक पहुंच पाता है।
दूसरे शब्दों में जब इम्पेलर घूमता है तब सेन्ट्रीफ्यूगल बल उत्पन्न होता है जिससे तरल की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है और वेग बढ़ जाता है परिणामस्वरूप दाब शीर्ष(Pressure head) बढ़ जाता है।जिससे द्रव फुट वाल्व को खोलकर सक्शन पाइप से होते हुए इम्पेलर में आता है और डिलीवरी वाल्व को खोलकर डिलीवरी पाइप से होते हुए अपने निर्गत स्थान(Discharge point) तक पहुचता है।
(This image from obeki.com)
5.रेसिप्रोकेटिंग पंप (Reciprocating pump)- रेसिप्रोकेटिंग पंप को शुद्ध हिंदी में प्रत्यागमनी पंप कहते है।यह एक धनात्मक विस्थापन पंप (Positive displacement pump) है l इसमे पिस्टन पंप,प्लंजर पंप और डायफ्राम पंप शामिल है।जिन जगहों पर रुक रुक कर पानी की जरूरत होती है और निर्वहन शीर्ष ( Discharge head) अधिक होता है।उन जगहों पर रेसिप्रोकेटिंग पंप का उपयोग किया जाता है।
{This image from mechanical boost.com}
{This image from alamy.com}
{This image from sciencedirect.com}
(रेसिप्रोकेटिंग पंप के उदाहरण-दोस्तो घरो में लगा हुआ हैंड पंप भी एक रेसिप्रोकेटिंग पंप है।इसके साथ ही वाहनों ,कारो की धुलाई में उपयोग होने वाला पंप रेसिप्रोकेटिंग पंप है।)
6.रेसिप्रोकेटिंग पंप के मुख्य भागो के नाम (Name of main parts of Reciprocating pump)-रेसिप्रोकेटिंग पंप के मुख्य भागो कर नाम इस प्रकार है-
(I)सक्शन वाल्व(Suction valve)-यह एक नॉन रिटर्न् वाल्व(Non return valve) है ।यह सक्शन पाइप से जुड़ा होता है।यह जलाशय(Reservoir) से पंप तक द्रव को जाने का रास्ता देता है।
{This image from indiamart.com}
(II)सक्शन पाइप(suction pipe)-सक्शन वाल्व से होकर तरल (Fluid)सक्शन पाइप में आता है।
(III)सिलिंडर(Cylinder)-सिलिंडर का हिंदी अर्थ है-बेलन।यह एक कम लम्बाई का खोखला बेलन है।यह एक कम लम्बाई का खोखला पाइप है।इसी के अंदर पिस्टन फिट होता है। सिलिंडर स्थिर रहता है।
(IV)पिस्टन(Piston)-यह सिलिंडर के अंदर एक गतिशील भाग है ।यह प्रत्यागमनी गति (Reciprocating motion) करता है।
(V)पिस्टन रॉड(Piston Rod)-पिस्टन जिस रॉड (Rod) से जुड़ा होता है उसे पिस्टन रॉड कहते है।यह रेसिप्रोकेटिंग गति (Reciprocating motion) बनाता है।इस रेसिप्रोकेटिंग गति या प्रत्यागमनी गति के कारण सिलिंडर के अंदर दाब उत्पन्न होता है।
(VI)पिस्टन रिंग(Piston ring)-पिस्टन रिंग ,पिस्टन और सिलिंडर के बीच डायरेक्ट संपर्क को रोकता है।यह पिस्टन और सिलिंडर के बीच के गैप(Gap )को भरता है।सिलिंडर और पिस्टन के बीच सीधे घर्षण(Friction) को कम करता है।यह पिस्टन रॉड ,कनेक्टिंग रॉड से जुड़ता है।
(VII)क्रैंक(Crank)-क्रैंक एक धातु का बना हुआ भुजा(Arm) है यह घूमते हुए शाफ़्ट के साथ 90 अंश के कोण पर जुड़ा हुआ होता है।यह घूमते हुए शाफ़्ट से वृतीय गति (Circular motion) प्राप्त करता है।
(VIII)कनेक्टिंग रॉड(Connecting rod)-यह क्रैंक और पिस्टन रॉड के बीच लगा होता है। क्रैंक, पावर स्त्रोत से जुड़ता है।
क्रैंक,कनेक्टिंग रॉड और पिस्टन रॉड मिलकर वृतीय गति(Circular motion) को रेखीय गति(Linear motion) में बदलते है।
(IX)डिलीवरी वाल्व(Delivery valve)-यह भी एक नॉन रिटर्न् वाल्व है।यह तरल(fluid) को डिलीवरी पाइप से वापस नीचे की ओर नही आने देता है।
(X) डिलीवरी पाइप(Delivery pipe)-डिलीवरी वाल्व से होकर पानी या तरल(fluid)डिलीवरी पाइप के द्वारा ही निर्गत स्थान(discharge point)तक पहुचता है।
(XI)जाली(Strainer)-जाली का मुख्य कार्य जलाशय (Reservoir) से या भूमिगत जल के साथ आने वाले कंकण ,पत्थर या लकड़ी के छोटे टुकड़े ,कपड़े के टुकड़े या पॉलीथिन जैसी चीजों को सक्शन पाइप में जाने से रोकना है।
7.सेन्ट्रीफ्यूगल पंप और रेसिप्रोकेटिंग पंप में अंतर-
(i)सेन्ट्रीफ्यूगल पंप का उपयोग कम हेड(head) और अधिक डिस्चार्ज(Discharge) के लिए होता है जबकि रेसिप्रोकेटिंग पंप का उपयोग कम डिस्चार्ज (Discharge) और अधिक हेड (Head)के लिए किया जाता है।
(ii)सेंट्रिफ़्युगल पंप लगातार पानी की डिलीवरी करता है जबकि रेसिप्रोकेटिंग पंप रुक- रुक कर पानी की डिलीवरी करता है।
(iii)सेंट्रिफ़्युगल पंप में प्राइमिंग की आवश्यकता होती है जबकि रेसिप्रोकेटिंग पंप में प्राइमिंग पंप की आवश्यकता नहीं होती है।
(iv)सेन्ट्रीफ्यूगल पंप का मेन्टेनेन्स कॉस्ट (Cost)कम होता है जबकि समान क्षमता के रेसिप्रोकेटिंग पंप का मेन्टेनेन्स कास्ट( Maintenance Cost)अधिक होता है।
(v) सेन्ट्रीफ्यूगल पंप में wear और tear कम होता है जबकि रेसिप्रोकेटिंग पंप में wear और tear अधिक होता है।
(vi) गंदे पानी के डिस्चार्ज के लिए रेसिप्रोकेटिंग पंप की तुलना में सेन्ट्रीफ्यूगल पंप सबसे बेहतर है।
(vii)समान डिस्चार्ज (Discharge) के लिए सेन्ट्रीफ्यूगल पंप का कुल वजन कम होता है जबकि समान डिस्चार्ज(Discharge) के लिए रेसिप्रोकेटिंग पंप का कुल वजन अधिक होता है।
8.प्राइमिंग (Priming)-सेन्ट्रीफ्यूगल पंप की केसिंग(Casing) और सक्शन पाइप(suction pipe)में पानी भर दिया जाता है ताकि सम्पूर्ण केसिंग एक एयर टाइट चैम्बर(Air tight chamber) की तरह कार्य करे।यह क्रिया प्राइमिंग कहलाती है।
इस प्रकार सेंट्रिफुगल पंप के केसिंग और सक्शन लाइन से हवा बाहर निकालने की क्रिया को प्राइमिंग कहते है।
दोस्तो इस ब्लॉग में कुछ सुधार करना हो तो उसे अवश्य उजागर करे।आपके सुझावों का हमेशा स्वागत है।फिर मिलते है किसी नए ब्लॉग में तब तक के लिए नमस्कार।
----------------------कामनाशीष सरकार---------------------
0 टिप्पणियाँ