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वेल्डिंग टूल्स और वेल्डिंग टर्मिनोलॉजी(Welding tools and Welding terminology)

वेल्डिंग टूल्स और वेल्डिंग टर्मिनोलॉजी 

(Welding tools and Welding terminology)



दोस्तो इस टॉपिक के अंदर हम वेल्डिंग (मुख्यतः आर्क वेल्डिंग) के दौरान उपयोग होने वाले मुख्य टूल्स के नाम जानेंगे जो लगभग सभी प्रकार के वेल्डिंग प्रक्रियाओं में उपयोग किये जाते है और उनके उपयोग के बारे में जानेंगे।इसके साथ में हम वेल्डिंग टर्मिनोलॉजी का भी अध्ययन करेंगे।

वेल्डिंग में उपयोग होने वाले टूल्स का नाम-

(1)   चिपिंग हैमर

(2)   वेल्डिंग हेड स्क्रीन /हैंड स्क्रीन                                  
( weldingHead screen/hand screen)

(3)   सेफ्टी गोगल(Safety goggle)

(4)   शेफ्टी शूज़(safety shoes)

(5)   लेदर एप्रोन(leather apron)

(6)   वेल्डिंग दस्ताना(Welding gloves)

(7)   मेजरिंग टेप

(8)   ट्राय स्क्वायर

(9)   सेंटर पंच

(10) अर्थ क्लैंप

(11) इलेक्ट्रोड होल्डर 

(12)वर्कबेंच(Work bench)

(13)एंगल ग्राइंडर(Angle grinder)

(14)मेटल फ़ाइल(Metal file)

(15)सड़सी/चिमटा(Tongs)

(16)वायर ब्रश(wire brush)

(17)वेल्डिंग क्लेम्पस(Welding clamps)-



दोस्तो अब हम ऊपर बताये गए टूल्स के बारे में कुछ विस्तार से अध्ययन करते है।इसमें हम टूल्स के डायग्राम और उसके उपयोग के बारे में जानेंगे।

(1)चिपिंग हैमर(Chipping hammer)-धातुओ के प्लेट के बीच वेल्डिंग होने के बाद वेल्ड पूल ठंडा होने के बाद एक मजबूत जोड़ हमे प्राप्त होता है और इस जोड़ के ऊपर एक पपड़ी बन जाती है।इस पपड़ी को हटाने के लिए चिपिंग हैमर का प्रयोग करते है।

(2)वेल्डिंग हेड स्क्रीन /हैंड स्क्रीन(Welding head       screen / hand screen)-वेल्डिंग हेड स्क्रीन या वेल्डिंग हैंड स्क्रीन का उपयोग वेल्डिंग के दौरान उत्पन्न पराबैगनी किरणों(Ultravilate rays) और वेल्डिंग के दौरान निकलने वाले धुंए को सीधे आंखों में आने से रोकने के लिए किया जाता है।




(3)सेफ्टी गोगल (Safety goggle)-वेल्डिंग किये हुए जॉब या वर्क पीस की सतह को चिकना बनाने के लिए एंगल ग्राइंडर का उपयोग करते है।एंगल ग्राइंडर का उपयोग करने पर स्पार्क और मेटल के छोटे छोटे टुकड़े हवा में उड़ते है।  इससे आंखों को बचाने के लिए सेफ्टी गोगल का उपयोग करते है।

(4)सेफ्टी शूज़(Safety shoes)-वेल्डिंग वर्कशॉप में काम के दौरान  पैरों पर गर्म जॉब भी गिर सकता है।पैरो में लोहे के रॉड ,छड़ या पाइप से ठोकर लग सकती है।इन सभी से बचाव के लिए सेफ्टी शूज जरूरी है।

(5)लेदर एप्रोन( leather Apron)- वेल्डिंग में लेदर(चमड़ा) से बने एप्रोन का उपयोग किया जाता है।
वेल्डर जब वेल्डिंग करता है तब गर्म लाल और छोटे छोटे लोहे के टुकड़े छिटकते है ।यह कपड़ो पर भी आकर गिरते है जिससे कपड़े जल जाते है उनमें छेद हो जाता है।यह गर्म महीन लोहे की टुकड़े शरीर को भी जला सकते है। इनसे बचाव के लिए लेदर एप्रन का प्रयोग करते है।

(6)वेल्डिंग दस्ताना(welding gloves) -वेल्डिंग दस्ताना चमड़े(leather) का बना होता है।वेल्डिंग के दौरान गर्म और लाल लोहे के छोटे टुकड़े इधर उधर छिटकते है।इनसे हाथों को बचाने के लिए लेदर के बने दस्तानों का उपयोग किया जाता है।

(7)मेजरिंग टेप(measuring tape)-मेजरिंग टेप का मतलब है-नापने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला टेप।
 जॉब की मोटाई (thickness),चौड़ाई (width),लंबाई (length) को नापने के लिए मेजरिंग टेप(फीता) का उपयोग करते है।

(8)ट्राई स्क्वायर (tri-square)-इसका उपयोग दूरी लम्बाई या चौड़ाई नापने में,समांतर रेखाएं खींचने में,दो वर्क पीस के बीच समकोण(90 अंश का कोण)नापने के लिए किया जाता हैं।इसका उपयोग जॉब की वर्गता (square ness) की जाँच करने के लिए किया जाता है।

(9)सेंटर पंच(center punch)- यह एक हैंड टूल है ।इसका उपयोग जॉब पर बनाये गए अस्थायी चिन्हों को स्थायी चिन्ह बनाने के लिए किया जाता है।जब हम जॉब पर डिवाइडर की सहायता से को वृत(Circle) बनाते है या स्केल की सहायता से कोई लाइन खींचते है तब जॉब को बार बार छूने पर यह निशान मिट जाते है ।इन निशानों को स्थायी करने के लिए लाइन के ऊपर या वृत के ऊपर सेंटर पंच की सहायता से  कुछ कुछ दूरी पर गहरे बिंदु बना दिये जाते है।यह छूने से नही मिटते है।

(10) अर्थ क्लैंप(Earth clamp)-अर्थ क्लैंप को अर्थ केबल से जोड़ते है।इस अर्थ क्लैंप को जॉब या वर्कबेंच से जोड़ देते है।इसका मतलब है कि अर्थ क्लैंप का संबंध आर्क वेल्डिंग मशीन के नेगेटिव पोल से अधिकतर रहता है।

रिवर्स पोलेरिटी में अर्थ क्लैंप को नेगेटिव रखा जाता है।स्ट्रैट पोलेरिटी में अर्थ क्लैंप को पॉजिटिव रखते है।

इसे कॉपर एलाय( तांबा मिश्र धातु) से बनाया जाता है।

(11)इलेक्ट्रोड होल्डर(Electrode holder)-आर्क वेल्डिंग प्रक्रिया में वेल्डिंग इलेक्ट्रोड(rod)को पकड़ने के लिये जिस होल्डर का प्रयोग करते है उसे इलेक्ट्रोड होल्डर कहते है। यह तांबे और प्लास्टिक का बना होता है।

(12)वर्क बेंच(work bench)- यह आमतौर पर माइल्ड स्टील का बेंच होता है।इसमें अर्थ क्लैंप को जोड़ देते है।वर्क पीस को इसी पर रखकर वेल्डिंग का काम किया जाता है।वर्कशॉप में वेल्डिंग वर्क के लिए कई छोटे और बड़े बेंच का उपयोग किया जाता है।

(13) एंगल ग्राइंडर(Angle grinder)-एंगल ग्राइंडर का उपयोग वर्कपिस पर वेल्डिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद जोड़ बनता है।उसमें यदि उभार अधिक हो और वर्क पीस को चिकन बनाना जरूरी है तब सरफेस को चिकना करने के लिए एंगल ग्राइंडर का उपयोग करते है।

(14) मेटल फ़ाइल(Metal file)-जॉब पर वेल्डिंग हो जाने के बाद उसमें सरफेस पर कुछ फिनिशिंग करने के लिए फ़ाइल का उपयोग करते है।

(15)सड़सी/चिमटा(Tongs)-वर्क पीस को पकड़ने के लिए सड़सी का उपयोग करते है।

(16)वायर ब्रश(wire brush)-वायर ब्रश का उपयोग वेल्डिंग जॉइंट को साफ करने के लिए होता है।

(17)वेल्डिंग क्लेम्पस(Welding clamps)-दो वर्क पीस को एक साथ सटा कर वेल्डिंग करना हो तो वेल्डिंग क्लैंप का प्रयोग करते है ताकि वर्क पीस न हिले।

आर्क वेल्डिंग से संबंधित टर्मिनोलॉजी (Arc welding related terminology)-

(1) फ्लक्स(flux)- सामान्य आर्क वेल्डिंग में प्रयोग होने वाले वेल्डिंग इलेक्टरोड के ऊपर की  कोटिंग् को ही   फ्लक्स कहते है।यह सिलिकेट और कार्बोनेट मटेरियल का मिश्रण होता है।

यह वेल्डिंग के दौरान पिघल कर वेल्ड पूल के ऊपर एक परत बना देता है ।यह परत वेल्ड पूल का वातावरणीय गैसों और आक्सीकरण से बचाव करता है।

(2)स्लैग(Slag)-सामान्यतया शिलडेड मेटल आर्क वेल्डिंग या MMAW में जब वेल्डिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है तब वेल्ड पूल का निर्माण होता है।वेल्डपूल ठंडा होने पर स्थायी जोड़ तैयार हो जाता है।इस जोड़ के ऊपर एक पपड़ी बन जाती है जिसे धातुमल या स्लैग कहते है।

(3)स्पेटर(spatter)-आर्क वेल्डिंग करते समय धातु के छोटे छोटे कण इधर उधर बिखर जाते है।इसे स्पेटर कहते है।

(4)ब्लो होल(blow hole)- वेल्डिंग के दौरान पिघले हुए वेल्ड पूल में यदि वातावरणीय गैस मिक्स हो जाती है तो उसमें (porosity)सरंध्रता आ जाती है।इस कैविटी टाइप पोरोसिटी  को ब्लो होल कहते है।

(5)आर्क ब्लो(Arc blow)-वेल्डिंग करते समय बनने वाली आर्क इधर उधर होती  रहती है,इसे आर्क ब्लो कहते है।

(6)स्ट्रैट पोलेरिटी(Straight polarity)-यदि वेल्डिंग प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रोड होल्डर को नेगेटिव पोल से जोड़ा जाता है तब पोलेरिटी, स्ट्रैट पोलेरिटी कहलाता है।

(7)रिवर्स पोलेरिटी(Reverse polarity)-यदि वेल्डिंग प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रोड होल्डर को पॉजिटिव पोल से जोड़ा जाता है तब पोलेरिटी, रिवर्स पोलेरिटी कहलाता है।

(8)डी. सी.(D.C.)-डी. सी. का  पूरा नाम Direct current है।हिंदी में इसे दिष्ट धारा कहते है।दिष्ट धारा विद्युत परिपथ में अपनी दिशा नही बदलती है।
यह आर्क वेल्डिंग के लिए AC की तुलना में अधिक उपयुक्त मानी जाती है।



(9) ए.सी.(A.C.)-ए. सी.का पूरा नाम Alternative Current है। हिंदी में इसे प्रत्यावर्ती धारा कहते है।प्रत्यावर्ती धारा ,विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलता रहता है।समान वोल्टेज के डी. सी. धारा के तुलना में A. C. धारा अधिक खतरनाक होती है।

(10)एरिया ऑफ पेनेट्रेशन(Area of panetration)-वेल्डिंग द्वारा बना वह क्षेत्र जिसमे बेस मेटल(मूल धातु) और  फिलर मेटल पिघल कर ,मिक्स होकर एकत्र होजाते है और ठंडे हो जाते है,एरिया ऑफ पेनेट्रेशन कहलाता है।

(11)आर्क की लंबाई(Arc length)-वेल्डिंग इलेक्ट्रोड की टिप और वर्क पीस के सरफेस के बीच की दूरी को ही आर्क की लंबाई या आर्क लेंथ कहते है।

(12)पैडिंग विधि(padding method)-किसी भी धातु की सतह पर , उसी धातु की या किसी अन्य धातु की परत बिछाने को पैडिंग कहते हैं।

(13)इलास्टिक गुण(Elastic property)-जब किसी धातु की वस्तु को किसी बल द्वारा एक सीमा तक मोड़ा जाता है तो बल हटाने पर यह अपनी पहले वाली अवस्था में वापस आ जाता है,इसे धातु का इलास्टिक प्रॉपर्टी कहते है।

(14)प्लास्टिक गुण(plastic property)-यदि धातु को प्रत्यास्थता की सीमा(Elastic limit) से अधिक मोड़ा जाता है तो यह वापस अपनी पूर्व अवस्था में नही आ पाता है,इसे ही धातु का प्लास्टिक प्रॉपर्टी कहते है।

(15)रुट रन(Root run)-वेल्डिंग करते समय बनी पहली बीड को रुट रन कहते है।

(16) फिलिंग रन(Filling run)-रुट रन के पश्चात बने दूसरे रन को फिलिंग रन कहते है।

(17)कैपिंग रन(Capping run)-फिलिंग रन के पश्चात बने रन को कैपिंग रन कहते है।

(18)लैप जोड़(lap joint)-जब दोनों वेल्ड की जाने वाली प्लेटो को एक दूसरे के ऊपर चढ़ा कर वेल्ड किया जाता है तब इस जोड़ को लैप जोड़ या लैप जॉइंट कहते है।

(19)बट जोड़(But joint)-जब दो प्लेटो को एक दूसरे के समान रख कर वेल्ड किया जाता है तो इस जोड़ को बट जोड़ या बट जॉइंट कहते है।

(20)टी-जोड़(T-joint)- जब एक प्लेट, दूसरे प्लेट के ऊपर 90 डिग्री के कोण पर जोड़ी जाती है।तब इस  वेल्डिंग जोड़ को टी-जोड़(T-joint) कहते है।

(21)मिग वेल्डिंग(MIG Welding)- इसका पूरा नाम Metal Inert gas वेल्डिंग है।इसमें इंर्ट गैसों का प्रयोग होता है जैसे-Ar,He आदि

(22)मैग वेल्डिंग(MAG Welding)-इसका पूरा नाम Metal Active Gas वेल्डिंग है।इसमें एक्टिव गैसों का प्रयोग होता है।जैसे-CO2,O2 आदि

(23)कोटिंग फैक्टर(coating factor)-इलेक्ट्रोड पर फ्लक्स चढ़ने के बाद व्यास और उसके कोर वायर के व्यास के अनुपात को कोटिंग फैक्टर कहते है।

(24)MMAW -इसका पूरा नाम Manual metal Arc वेल्डिंग है।इसे shielded metal arc welding (SMAW)भी कहते है।बाजारों में आमतौर पर इस वेल्डिंग को ही अधिकतर देखा जाता है।इसमें कंज्युमेबल इलेक्ट्रोड का प्रयोग किया जाता है।

(25)टीग वेल्डिंग(TIG Welding)-इसका पूरा नाम टंगस्टन इंर्ट गैस वेल्डिंग है।इसमें नॉन कंज्युमेबल टंगस्टन इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाता है।इसमें भी मिग वेल्डिंग की तरह इंर्ट गैस(जैसे-Ar, He) का उपयोग किया जाता है।



दोस्तो आगे के टॉपिक में हम वेल्डिंग से संबंधित छोटे छोटे प्रश्न-उत्तर के बारे में जानेंगे।


                      ।।।।।नमस्कार।।।।।



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