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टायर और टायर के प्रकार

दोस्तो आप सभी का kamnashishsarkar.blogspot.com में स्वागत है।उम्मीद करता हूं ।पिछले ब्लॉग की तरह ही इस ब्लॉग को भी आपकी सराहना मिलेगी और आप सभी अपने सुझाव मुझे भेजेंगे ताकि मैं ब्लॉग को और बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत कर सकू।                                        

 दोस्तो इस ब्लॉग में हम जानेंगे-
(1) टायर क्या है?
(2)टायर किस विधि से बनता है?
(3)टायर कितने प्रकार के होते है?
(4)टायर पर लिखे अंको और शब्दों का मतलब क्या है?
(5)वाहनों में टायर का क्या उपयोग है?और क्यों है?
(6)टायर बनाने में किस -किस कच्चे माल का उपयोग होता है?
(7)टायर की डिजाइनिंग कैसे करते है?
(8)प्राकृतिक रबर विश्व मे सबसे अधिक कहाँ पाया जाता है?
(8)कृत्रिम रबर कैसे बनता है?
(9)टायर का रंग काला क्यों होता है?

(10)भारत में टायर के पांच बेहतरीन ब्रांड के नाम क्या है?
(11)वायवीय टायर का आविष्कार किसने किया ?


(1) टायर -टायर एक रिंग नुमा अवयव है जिसे पहिये के रिम के चारो ओर लगा कर फिट कर दिया जाता है जो एक्सल (axle) से पहिये के द्वारा वाहन के भार ko (Load)को ज़मीन पर  स्थानांतरित करता है। पहिये के चलने के कारण सतह और टायर के बीच घर्षण उतपन्न होता है। आज कल के जितने भी भारी वाहनों के टायर है वे सभी वायवीय (Pneumatic) टायर है।इन सभी टायरों में हवा भारी जाती है।

(2)टायर बनाने की विधि-




(3)टायर के प्रकार(Types of tyre)-
(A)ट्यूब के उपयोग के आधार पर

(1)ट्यूब टायर
(2)ट्यूबलेस टायर

(B)टायर के बनावट के आधार पर

(1)क्रॉस प्लाई टायर
(2)रेडियल प्लाई टायर

(A)ट्यूब के उपयोग के आधार पर
(1)ट्यूब टायर- यह आमतौर पर अधिकतर उपयोग होने वाले टायर है।इन टायरों को साधारण टायर भी कह सकते है।यह टायर सिंथेटिक रबर का बनता है।इन टायरों के अंदर  रबर की ट्यूब होती है।इस ट्यूब के अंदर ही वाल्व के द्वारा हवा भारी जाती है।ट्यूब के अंदर हवा भरने पर टायर अपने पूरे शेप में आ जाता है।इन टायरों की ग्रिप अच्छी होती है।
               टयूब वाले टायरों का वजन ट्यूबलेस टायरों से अधिक होता है। ट्यूब वाले टायर पंचर हो जाने पर ये टायर वाहन के वजन के कारण पूरे तरह से फ्लैट (flat)हो जाते है।वाहन अस्थिर हो जाता है।कुछ दूरी तक वाहन बिना हवा के चलने के कारण ट्यूब रिम (Rim) से बाहर निकलने लगती है।काफी दूरी तक बिना हवा के चलने पर ट्यूब खराब हो सकती है।फिर ट्यूब को बदलना पड़ सकता है।

(2)ट्यूबलेस टायर-जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है  ट्यूब लेस टायर में ट्यूब नही होती है।इसमें रिम के ऊपर सीधे टायर लगा दी जाती है।वाल्व रिम के ऊपर लगी होती है जिससे टायर में सीधे हवा भारी जाती है।

(B) टायर के बनावट के आधार पर

(1)क्रॉस प्लाई टायर-


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