श्राद्ध भोज( shradha banquet)
दोस्तो हमारे समाज मे श्राद्ध भोज का चलन काफी समय से चला आ रहा है।इस प्रथा में तेरहवी श्राद्ध में पास पड़ोसियो,रिश्तेदारों को भोजन कराया जाता हैं।मैं इस प्रथा का विरोध नही करता हूं। लेकिन इसकी कुछ कमियों को उजागर करना चाहता हूँ।।
दोस्तो आज से 5 दिन पहले हमारे पड़ोस की एक काकी का देहांत हो गया ।उनकी फेफड़े में समस्या बताई गई।हमारे यहाँ के जिला अस्पताल सिंगरौली (waidhan) से इन्हें रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।वही उनकी मृत्यु हो गई।मैं उनके तेरहवी की श्राद्ध भोज में गया था।।
दोस्तो आम तौर पर भोज में किसी शुभ कार्यक्रम में जाने पर कुछ उपहार या लिफाफे में कुछ रुपये देने का रिवाज हमारे समाज मे प्रचलित हैं जबकि तेरहवी श्राद्ध भोज जैसे कार्यक्रमों में उपहार देने का कोई रिवाज नही हैं और यह सही भी लगता हैं।
तर्क-दोस्तो यदि किसी के घर मेंं कोई बुजुर्ग व्यक्ति ,घर का मुखिया या कोई भी बीमारी से या कििसी अन्य कारण सेे मृत हो जाता हैं तो निम्न वर्गीय,मध्यम वर्गीय लोगो के सामने भोज आयोजन करना उतना सहज नही होता हैं। कुछ पैसे इलाज में खर्च हो जाते है और बाकी रहा श्राद्ध भोज कराना तो व्यक्ति लोकाचार के कारण पैसे व्यवस्था करके या कर्ज लेेकर यह कार्यक्रम करते हैं।अगर हम कुछ पैसे लिफाफे में या किसी अन्य माध्यम से उन्हें देेते हैं तो इस समय कुुुछ मदद हमारे माध्यम से हो सकती हैं।विचार करे और कमेंट में बताए।
आपका दोस्त-कामनाशीष सरकार
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