मेरे जीवन में जर ,जोरू और जमीन(money,wife/girl friend and land in my life)
दोस्तो जब बचपन में स्कूल जाया करते थे तब कहावत सुनी थी कि संसार मे लड़ाई या युद्ध की वजह तीन ही हैं-जर,जोरू और जमीन ।उस समय करीब कक्षा आठ में पढ़ते थे।वही अपने गृह ग्राम बरगवा (तहसील -देवसर,जिला-सिंगरौली म.प्र.) के कालिदास शिक्षण संस्थान में पढ़ते थे।हमारी उम्र करीब 13साल या 14 साल रही होंगी।दोस्तो छात्र जीवन बहुत कुछ सिखाता हैं।इस जीवन मे आनंद भी था क्योंकि पिताजी पर सभी तरह के खर्चो के लिए निर्भर था।उस समय पैसे की कीमत समझ नही आती थीं।जितने भी पैसे किसी काम के लिए या किसी सामान खरीदने के लिये मिलते थे।कभी भी पैसे नही बचाता था।पूरे पैसे खर्च कर देता था।ऐसा ही 18 साल की उम्र तक चला।जिसमे मैं 18 साल की उम्र में बारहवीं पास किया और आगे के 4 साल pre-medical test के लिए खपा दिए।घर पर ही तैयारी करते थे।आर्थिक स्थिति ठीक नही थी।अब हम 22 वर्ष के हो गए थे।इन चार साल की तैयारी के बाद बड़ी मुश्किल से BDS में सिलेक्शन हो गया और इस साल फार्मेसी में भी सिलेक्शन हो गया। फार्मेसी मेंं अच्छे अंक प्राप्त हुए पहले ही दिन काउंसिलिंग थी।दो अंक कम होने के कारण MBBS में सिलेक्शन नही हुआ।यह साल था सन2005।
दोस्तो जीवन की असली परीक्षा से अगस्त 2005 में पाला पड़ा ।जब भोपाल(m.p.) से कॉउंसलिंग से आने के 2 दिन बाद पिताजी का देहांत हो गया।अब दो रास्ते सामने थे या तो घर पर रहकर कुछ काम करके घर गृहस्थी चलाओ या लोन लेकर पढ़ने चले जाओ।हमने घर का खर्च उठाने का निर्णय लिया।प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगे।प्राइवेट B. A. कम्पलीट किये। इसके बाद डिप्लोमा इंजीनियरिग करने के लिए शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज waidhan (जिला - सिंगरौली) में एडमिशन लिए।स्कूल छोड़ दिये ट्यूशन के पैसे से ही पढ़ाई और घर का खर्चा दोनो चलाने लगे।दोस्तो 2008 से 2011 के बीच डिप्लोमा इंजीनियरिंग की पढ़ाई की जिसमे सुबह 6 बजे घर से बाजार आता था और 7 बजे से 9 बजे तक ट्यूशन पढ़ाता था । 9.30 बजे सुबह बस से कॉलेज जाता था। 6 बजे शाम को वापस आ जाता था।फिर शाम को 6.30 बजे से रात 10.30 बजे तक ट्यूशन पढ़ाता था। सन 2008 से सन 2011 तक 3 साल का रूटीन यही था।सन 2011 में कॉलेज से निकलते ही रिलायन्स पावर लिमिटेड(जिला- सिंगरौली) में नौकरी लग गई।कुछ आर्थिक स्थिति ठीक हो गई।
दोस्तो सन 2005 से सन 2011 का समय हमारी लिए कई चुनौतियों भरा रहा।कुछ समय ऐसा भी बीता कि एक समय का ही भोजन हो पाता था।इस समय मैं जर(पैसा/चल सम्पति) का महत्व पूरी तरह समझ गया।दोस्तों आप के पास पैसे न हो तो कोईभी आपको पैसे नही देता हैं।धरती का दूसरा भगवान जर(धन )ही हैं।इसके दम पर आप सारे गलत/सही काम करवा सकते हैं।
दोस्तो 2013 में शादी के बाद जब लफड़ा हो गया। 2.5 साल कोर्ट में मामला चलने के बाद जब divorce की बात आई तब पैसे को लेकर पेच फस गया ।लड़कीं पार्टी ने ज्यादा पैसे (जर) की डिमांड की।इस पर भी झगड़ा हुआ।पत्नी (जोरू) घर छोड़कर मायके रहती थी ।इस मसले पर भी ससुराल पक्ष से झगड़ा हुआ था।। दोस्तो यहाँ से जरऔर जोरू का मतलब समझ मे आ गया ।
। जर।
।जोरू ।
अब बचा जमीन तो दोस्तो नौकरी लगने के बाद दो- तीन जगहों पर प्लॉट ख़रीदा है जिसमे से एक मे दीवानी मुकदमा चल रहा हैं।अब उम्र 37 वर्ष हो गई है।तीनो ज के मतलब समझने में 37 साल लग गए।
दोस्तो हमारे शास्त्रों में उल्लेख है कि राम-रावण युद्व का कारण सीता(जोरू/स्त्री)थी।महाभारत युद्ध का कारण द्रोपदी(जोरू/स्त्री) के दुर्योधन को बोले गए कटु वचन और राज्य (जमीन) था। आप अपने आस पास देखिए।बहु घर मे आई कुछ वर्षों के बाद बेटा- बहु का चूल्हा अलग होना ही हैं।जमीन का बटवारा और झगड़ा होना ही हैं।यदि एक ही व्यवसाय में सभी घर के सदस्य लगे हुए हैं तो पैसे(जर) को लेकर कभी न कभी खटपट जरूर होगी।यदि आपने किसी को उधार पैसे(जर) दिया है तो यह भी आपके झगड़े और दुश्मनी का कारण बन सकता हैं। अभी वर्तमान में यदि भारत और चीन के बीच युद्ध होता हैं तो इसका कारण जमीन होगा।
निष्कर्ष-संसार में होने वाले 90 से 99 प्रतिशत झगड़ो का कारण जर,जोरू,जमीन ही हैं।बुजुर्गो के द्वारा कही गई कहावत शत प्रतिशत सही हैं।यह कहावत आज के समय में और आने वाले समय में भी प्रासङ्गिक ,अर्थपूर्ण और सही रहेंगी। ।।।कामनाशीष सरकार ।।।
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