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क्या वृद्धाश्रम जरूरी हैं?(Is old age home necessary?)

क्या वृद्धाश्रम जरूरी हैं?(Is old age home )


दोस्तो दुनिया में वृद्धाश्रम की संख्या में वृद्धि एक चिंता का विषय हैं।यह इस बात की ओर संकेत कर रहा हैं कि मनुष्य अब भौतिकवादी और अधिक प्रैक्टिकल हो गया हैं।हम जिन माता-पिता के सहारे कदम बढ़ाना सीखते हैं।आज वे बुढ़ापे में वृद्धाश्रम में छोड़ दिये जाते हैं।                                                                                     
हमारे देश मे बूढ़े हो जाने पर माता -पिता को अलग कर दिया जाता हैं।ये मैंने अपने गाँव मे देखा हैं जहाँ मेरा पैतृक घर हैं।हमारे पड़ोस में भी हमने देखा हैं कि बेटे का ब्याह हो जाने के बाद जब बहू घर में आती हैं ।घर में झगड़ा शुरू होता हैं।झगड़ा आगे बढ़ता है।इसके बाद घर या कमरा अलग-अलग हो जाता हैं।माता -पिता अलग खाना बनाते हैं।बेटा बहू अलग खाना  बनाते है। माता-पिता का अलग घर में रहना ,अपना भोजन स्वयं बनाना। यह वृद्धाश्रम ही हैंं।                                                                                       
दोस्तो आज दुनिया बहुत प्रैक्टिकल हो गई हैं।बेटे या बेटी अपने माता पिता को केवल जीवन में आगे बढ़ने की सीढ़ी मानते हैं।जब इन्हें लगता हैं कि अब हम अपनी देखभाल खुद कर सकते हैं।हमे अपनी जरूरतों के लिए अब माता पिता पर निर्भर नही रहना पड़ेगा।तब लोग अपने माता पिता को छोड़ के अलग रहने लगते हैं।                                  
 दोस्तो यह बड़ी विडंबना ही हैं कि मनुष्य जो दुनिया की सबसे बड़ी कृति हैं।वह भावनाहीन हो गया हैं।जिन माँ बाप को बुढ़ापे में हमारी सबसे ज्यादा जरूरत हैं।उन्हें हम छोड़ देते हैं।                                                   
दोस्तो हमे सोचना हैं कि जो बुढ़ापा आज हमारे माता पिता का हैं ।कल यही बुढ़ापा हमे भी घेरेगा।तब हमारे बच्चे हमारे साथ ऐसा ही कर सकते हैं क्योंकि हमारे बच्चे ये सभी देख रहे है कि हम अपने माता पिता के साथ उनके अंतिम समय मे कैसा व्यवहार कर रहे हैं।                                                                                               
 दोस्तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या संदेश दे रहे हैं।यह सोचने वाली बात हैं।इस विषय पर चिंतन मनन जरूर होना चाहिए।जो माँ बाप हमारे लिए अपनी जिंदगी खपा देते हैं।हमारी खुशियों के लिये अपनी संपत्ति पैसा उड़ा देते हैं।                                                                                         
 क्या उनकेेेेेेेे बुढ़ापे में हम उनके जीवन को आसान बना सकते हैं? क्या इनका अंत समय कुछ कम तकलीफदेह हो सकता है?  क्या हम उनके बुढ़ापे में उन्हें हम अधिक  खुशियां दे सकते हैं?       ----------    
यदि इन सबका जबाब हाँ हैैं तो  हमे अपने माँ बाप को  बुढ़ापे में अलग नही करना चाहिए। वृद्ध आश्रम नही भेजना चााहिये।यह समाज में एक बुरी परम्परा की शुरुआत हैं ।इसे बंद होना  ही  चाहिए।।।।                    ।।। नमस्कार।।                         

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